ترجمة سورة الصافات

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

وَالصَّافَّاتِ صَفًّا 1

(इबादत या जिहाद में) पर बाँधने वालों की (क़सम)

فَالزَّاجِرَاتِ زَجْرًا 2

फिर (बदों को बुराई से) झिड़क कर डाँटने वाले की (क़सम)

فَالتَّالِيَاتِ ذِكْرًا 3

फिर कुरान पढ़ने वालों की क़सम है

إِنَّ إِلَٰهَكُمْ لَوَاحِدٌ 4

तुम्हारा माबूद (यक़ीनी) एक ही है

رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَرَبُّ الْمَشَارِقِ 5

जो सारे आसमान ज़मीन का और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है (सबका) परवरदिगार है

إِنَّا زَيَّنَّا السَّمَاءَ الدُّنْيَا بِزِينَةٍ الْكَوَاكِبِ 6

और (चाँद सूरज तारे के) तुलूउ व (गुरूब) के मक़ामात का भी मालिक है हम ही ने नीचे वाले आसमान को तारों की आरइश (जगमगाहट) से आरास्ता किया

وَحِفْظًا مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ مَارِدٍ 7

और (तारों को) हर सरकश शैतान से हिफ़ाज़त के वास्ते (भी पैदा किया)

لَا يَسَّمَّعُونَ إِلَى الْمَلَإِ الْأَعْلَىٰ وَيُقْذَفُونَ مِنْ كُلِّ جَانِبٍ 8

कि अब शैतान आलमे बाला की तरफ़ कान भी नहीं लगा सकते और (जहाँ सुन गुन लेना चाहा तो) हर तरफ़ से खदेड़ने के लिए शहाब फेके जाते हैं

دُحُورًا ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ وَاصِبٌ 9

और उनके लिए पाएदार अज़ाब है

إِلَّا مَنْ خَطِفَ الْخَطْفَةَ فَأَتْبَعَهُ شِهَابٌ ثَاقِبٌ 10

मगर जो (शैतान शाज़ व नादिर फरिश्तों की) कोई बात उचक ले भागता है तो आग का दहकता हुआ तीर उसका पीछा करता है

فَاسْتَفْتِهِمْ أَهُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَمْ مَنْ خَلَقْنَا ۚ إِنَّا خَلَقْنَاهُمْ مِنْ طِينٍ لَازِبٍ 11

तो (ऐ रसूल) तुम उनसे पूछो तो कि उनका पैदा करना ज्यादा दुश्वार है या उन (मज़कूरा) चीज़ों का जिनको हमने पैदा किया हमने तो उन लोगों को लसदार मिट्टी से पैदा किया

بَلْ عَجِبْتَ وَيَسْخَرُونَ 12

बल्कि तुम (उन कुफ्फ़ार के इन्कार पर) ताज्जुब करते हो और वह लोग (तुमसे) मसख़रापन करते हैं

وَإِذَا ذُكِّرُوا لَا يَذْكُرُونَ 13

और जब उन्हें समझाया जाता है तो समझते नहीं हैं

وَإِذَا رَأَوْا آيَةً يَسْتَسْخِرُونَ 14

और जब किसी मौजिजे क़ो देखते हैं तो (उससे) मसख़रापन करते हैं

وَقَالُوا إِنْ هَٰذَا إِلَّا سِحْرٌ مُبِينٌ 15

और कहते हैं कि ये तो बस खुला हुआ जादू है

أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ 16

भला जब हम मर जाएँगे और ख़ाक और हड्डियाँ रह जाएँगे

أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ 17

तो क्या हम या हमारे अगले बाप दादा फिर दोबारा क़ब्रों से उठा खड़े किए जाँएगे

قُلْ نَعَمْ وَأَنْتُمْ دَاخِرُونَ 18

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि हाँ (ज़रूर उठाए जाओगे)

فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ فَإِذَا هُمْ يَنْظُرُونَ 19

और तुम ज़लील होगे और वह (क़यामत) तो एक ललकार होगी फिर तो वह लोग फ़ौरन ही (ऑंखे फाड़-फाड़ के) देखने लगेंगे

وَقَالُوا يَا وَيْلَنَا هَٰذَا يَوْمُ الدِّينِ 20

और कहेंगे हाए अफसोस ये तो क़यामत का दिन है

هَٰذَا يَوْمُ الْفَصْلِ الَّذِي كُنْتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ 21

(जवाब आएगा) ये वही फैसले का दिन है जिसको तुम लोग (दुनिया में) झूठ समझते थे

احْشُرُوا الَّذِينَ ظَلَمُوا وَأَزْوَاجَهُمْ وَمَا كَانُوا يَعْبُدُونَ 22

(और फ़रिश्तों को हुक्म होगा कि) जो लोग (दुनिया में) सरकशी करते थे उनको और उनके साथियों को और खुदा को छोड़कर जिनकी परसतिश करते हैं

مِنْ دُونِ اللَّهِ فَاهْدُوهُمْ إِلَىٰ صِرَاطِ الْجَحِيمِ 23

उनको (सबको) इकट्ठा करो फिर उन्हें जहन्नुम की राह दिखाओ

وَقِفُوهُمْ ۖ إِنَّهُمْ مَسْئُولُونَ 24

और (हाँ ज़रा) उन्हें ठहराओ तो उनसे कुछ पूछना है

مَا لَكُمْ لَا تَنَاصَرُونَ 25

(अरे कमबख्तों) अब तुम्हें क्या होगा कि एक दूसरे की मदद नहीं करते

بَلْ هُمُ الْيَوْمَ مُسْتَسْلِمُونَ 26

(जवाब क्या देंगे) बल्कि वह तो आज गर्दन झुकाए हुए हैं

وَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ 27

और एक दूसरे की तरफ मुतावज्जे होकर बाहम पूछताछ करेंगे

قَالُوا إِنَّكُمْ كُنْتُمْ تَأْتُونَنَا عَنِ الْيَمِينِ 28

(और इन्सान शयातीन से) कहेंगे कि तुम ही तो हमारी दाहिनी तरफ से (हमें बहकाने को) चढ़ आते थे

قَالُوا بَلْ لَمْ تَكُونُوا مُؤْمِنِينَ 29

वह जवाब देगें (हम क्या जानें) तुम तो खुद ईमान लाने वाले न थे

وَمَا كَانَ لَنَا عَلَيْكُمْ مِنْ سُلْطَانٍ ۖ بَلْ كُنْتُمْ قَوْمًا طَاغِينَ 30

और (साफ़ तो ये है कि) हमारी तुम पर कुछ हुकूमत तो थी नहीं बल्कि तुम खुद सरकश लोग थे

فَحَقَّ عَلَيْنَا قَوْلُ رَبِّنَا ۖ إِنَّا لَذَائِقُونَ 31

फिर अब तो लोगों पर हमारे परवरदिगार का (अज़ाब का) क़ौल पूरा हो गया कि अब हम सब यक़ीनन अज़ाब का मज़ा चखेंगे

فَأَغْوَيْنَاكُمْ إِنَّا كُنَّا غَاوِينَ 32

हम खुद गुमराह थे तो तुम को भी गुमराह किया

فَإِنَّهُمْ يَوْمَئِذٍ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ 33

ग़रज़ ये लोग सब के सब उस दिन अज़ाब में शरीक होगें

إِنَّا كَذَٰلِكَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمِينَ 34

और हम तो गुनाहगारों के साथ यूँ ही किया करते हैं ये लोग ऐसे (शरीर) थे

إِنَّهُمْ كَانُوا إِذَا قِيلَ لَهُمْ لَا إِلَٰهَ إِلَّا اللَّهُ يَسْتَكْبِرُونَ 35

कि जब उनसे कहा जाता था कि खुदा के सिवा कोई माबूद नहीं तो अकड़ा करते थे

وَيَقُولُونَ أَئِنَّا لَتَارِكُو آلِهَتِنَا لِشَاعِرٍ مَجْنُونٍ 36

और ये लोग कहते थे कि क्या एक पागल शायर के लिए हम अपने माबूदों को छोड़ बैठें (अरे कम्बख्तों ये शायर या पागल नहीं)

بَلْ جَاءَ بِالْحَقِّ وَصَدَّقَ الْمُرْسَلِينَ 37

बल्कि ये तो हक़ बात लेकर आया है और (अगले) पैग़म्बरों की तसदीक़ करता है

إِنَّكُمْ لَذَائِقُو الْعَذَابِ الْأَلِيمِ 38

तुम लोग (अगर न मानोगे) तो ज़रूर दर्दनाक अज़ाब का मज़ा चखोगे

وَمَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ 39

और तुम्हें तो उसके किये का बदला दिया जाएगा जो (जो दुनिया में) करते रहे

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ 40

मगर खुदा के बरगुजीदा बन्दे

أُولَٰئِكَ لَهُمْ رِزْقٌ مَعْلُومٌ 41

उनके वास्ते (बेहिश्त में) एक मुक़र्रर रोज़ी होगी

فَوَاكِهُ ۖ وَهُمْ مُكْرَمُونَ 42

(और वह भी ऐसी वैसी नहीं) हर क़िस्म के मेवे

فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ 43

और वह लोग बड़ी इज्ज़त से नेअमत के (लदे हुए)

عَلَىٰ سُرُرٍ مُتَقَابِلِينَ 44

बाग़ों में तख्तों पर (चैन से) आमने सामने बैठे होगे

يُطَافُ عَلَيْهِمْ بِكَأْسٍ مِنْ مَعِينٍ 45

उनमें साफ सफेद बुर्राक़ शराब के जाम का दौर चल रहा होगा

بَيْضَاءَ لَذَّةٍ لِلشَّارِبِينَ 46

जो पीने वालों को बड़ा मज़ा देगी

لَا فِيهَا غَوْلٌ وَلَا هُمْ عَنْهَا يُنْزَفُونَ 47

(और फिर) न उस शराब में ख़ुमार की वजह से) दर्द सर होगा और न वह उस (के पीने) से मतवाले होंगे

وَعِنْدَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ عِينٌ 48

और उनके पहलू में (शर्म से) नीची निगाहें करने वाली बड़ी बड़ी ऑंखों वाली परियाँ होगी

كَأَنَّهُنَّ بَيْضٌ مَكْنُونٌ 49

(उनकी) गोरी-गोरी रंगतों में हल्की सी सुर्ख़ी ऐसी झलकती होगी

فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ 50

गोया वह अन्डे हैं जो छिपाए हुए रखे हो

قَالَ قَائِلٌ مِنْهُمْ إِنِّي كَانَ لِي قَرِينٌ 51

फिर एक दूसरे की तरफ मुतावज्जे पाकर बाहम बातचीत करते करते उनमें से एक कहने वाला बोल उठेगा कि (दुनिया में) मेरा एक दोस्त था

يَقُولُ أَإِنَّكَ لَمِنَ الْمُصَدِّقِينَ 52

और (मुझसे) कहा करता था कि क्या तुम भी क़यामत की तसदीक़ करने वालों में हो

أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَدِينُونَ 53

(भला जब हम मर जाएँगे) और (सड़ गल कर) मिट्टी और हव्ी (होकर) रह जाएँगे तो क्या हमको दोबारा ज़िन्दा करके हमारे (आमाल का) बदला दिया जाएगा

قَالَ هَلْ أَنْتُمْ مُطَّلِعُونَ 54

(फिर अपने बेहश्त के साथियों से कहेगा)

فَاطَّلَعَ فَرَآهُ فِي سَوَاءِ الْجَحِيمِ 55

तो क्या तुम लोग भी (मेरे साथ उसे झांक कर देखोगे) ग़रज़ झाँका तो उसे बीच जहन्नुम में (पड़ा हुआ) देखा

قَالَ تَاللَّهِ إِنْ كِدْتَ لَتُرْدِينِ 56

(ये देख कर बेसाख्ता) बोल उठेगा कि खुदा की क़सम तुम तो मुझे भी तबाह करने ही को थे

وَلَوْلَا نِعْمَةُ رَبِّي لَكُنْتُ مِنَ الْمُحْضَرِينَ 57

और अगर मेरे परवरदिगार का एहसान न होता तो मैं भी (इस वक्त) तेरी तरह जहन्नुम में गिरफ्तार किया गया होता

أَفَمَا نَحْنُ بِمَيِّتِينَ 58

(अब बताओ) क्या (मैं तुम से न कहता था) कि हम को इस पहली मौत के सिवा फिर मरना नहीं है

إِلَّا مَوْتَتَنَا الْأُولَىٰ وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ 59

और न हम पर (आख़ेरत) में अज़ाब होगा

إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ 60

(तो तुम्हें यक़ीन न होता था) ये यक़ीनी बहुत बड़ी कामयाबी है

لِمِثْلِ هَٰذَا فَلْيَعْمَلِ الْعَامِلُونَ 61

ऐसी (ही कामयाबी) के वास्ते काम करने वालों को कारगुज़ारी करनी चाहिए

أَذَٰلِكَ خَيْرٌ نُزُلًا أَمْ شَجَرَةُ الزَّقُّومِ 62

भला मेहमानी के वास्ते ये (सामान) बेहतर है या थोहड़ का दरख्त (जो जहन्नुमियों के वास्ते होगा)

إِنَّا جَعَلْنَاهَا فِتْنَةً لِلظَّالِمِينَ 63

जिसे हमने यक़ीनन ज़ालिमों की आज़माइश के लिए बनाया है

إِنَّهَا شَجَرَةٌ تَخْرُجُ فِي أَصْلِ الْجَحِيمِ 64

ये वह दरख्त हैं जो जहन्नुम की तह में उगता है

طَلْعُهَا كَأَنَّهُ رُءُوسُ الشَّيَاطِينِ 65

उसके फल ऐसे (बदनुमा) हैं गोया (हू बहू) साँप के फन जिसे छूते दिल डरे

فَإِنَّهُمْ لَآكِلُونَ مِنْهَا فَمَالِئُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ 66

फिर ये (जहन्नुमी लोग) यक़ीनन उसमें से खाएँगे फिर उसी से अपने पेट भरेंगे

ثُمَّ إِنَّ لَهُمْ عَلَيْهَا لَشَوْبًا مِنْ حَمِيمٍ 67

फिर उसके ऊपर से उन को खूब खौलता हुआ पानी (पीप वग़ैरह में) मिला मिलाकर पीने को दिया जाएगा

ثُمَّ إِنَّ مَرْجِعَهُمْ لَإِلَى الْجَحِيمِ 68

फिर (खा पीकर) उनको जहन्नुम की तरफ यक़ीनन लौट जाना होगा

إِنَّهُمْ أَلْفَوْا آبَاءَهُمْ ضَالِّينَ 69

उन लोगों ने अपन बाप दादा को गुमराह पाया था

فَهُمْ عَلَىٰ آثَارِهِمْ يُهْرَعُونَ 70

ये लोग भी उनके पीछे दौड़े चले जा रहे हैं

وَلَقَدْ ضَلَّ قَبْلَهُمْ أَكْثَرُ الْأَوَّلِينَ 71

और उनके क़ब्ल अगलों में से बहुतेरे गुमराह हो चुके

وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا فِيهِمْ مُنْذِرِينَ 72

उन लोगों के डराने वाले (पैग़म्बरों) को भेजा था

فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنْذَرِينَ 73

ज़रा देखो तो कि जो लोग डराए जा चुके थे उनका क्या बुरा अन्जाम हुआ

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ 74

मगर (हाँ) खुदा के निरे खरे बन्दे (महफूज़ रहे)

وَلَقَدْ نَادَانَا نُوحٌ فَلَنِعْمَ الْمُجِيبُونَ 75

और नूह ने (अपनी कौम से मायूस होकर) हमें ज़रूर पुकारा था (देखो हम) क्या खूब जवाब देने वाले थे

وَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ 76

और हमने उनको और उनके लड़के वालों को बड़ी (सख्त) मुसीबत से नजात दी

وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهُ هُمُ الْبَاقِينَ 77

और हमने (उनमें वह बरकत दी कि) उनकी औलाद को (दुनिया में) बरक़रार रखा

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ 78

और बाद को आने वाले लोगों में उनका अच्छा चर्चा बाक़ी रखा

سَلَامٌ عَلَىٰ نُوحٍ فِي الْعَالَمِينَ 79

कि सारी खुदायी में (हर तरफ से) नूह पर सलाम है

إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ 80

हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर अता फरमाते हैं

إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ 81

इसमें शक नहीं कि नूह हमारे (ख़ास) ईमानदार बन्दों से थे

ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ 82

फिर हमने बाक़ी लोगों को डुबो दिया

وَإِنَّ مِنْ شِيعَتِهِ لَإِبْرَاهِيمَ 83

और यक़ीनन उन्हीं के तरीक़ो पर चलने वालों में इबराहीम (भी) ज़रूर थे

إِذْ جَاءَ رَبَّهُ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ 84

जब वह अपने परवरदिगार (कि इबादत) की तरफ (पहलू में) ऐसा दिल लिए हुए बढ़े जो (हर ऐब से पाक था

إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَاذَا تَعْبُدُونَ 85

जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा कि तुम लोग किस चीज़ की परसतिश करते हो

أَئِفْكًا آلِهَةً دُونَ اللَّهِ تُرِيدُونَ 86

क्या खुदा को छोड़कर दिल से गढ़े हुए माबूदों की तमन्ना रखते हो

فَمَا ظَنُّكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ 87

फिर सारी खुदाई के पालने वाले के साथ तुम्हारा क्या ख्याल है

فَنَظَرَ نَظْرَةً فِي النُّجُومِ 88

फिर (एक ईद में उन लोगों ने चलने को कहा) तो इबराहीम ने सितारों की तरफ़ एक नज़र देखा

فَقَالَ إِنِّي سَقِيمٌ 89

और कहा कि मैं (अनक़रीब) बीमार पड़ने वाला हूँ

فَتَوَلَّوْا عَنْهُ مُدْبِرِينَ 90

तो वह लोग इबराहीम के पास से पीठ फेर फेर कर हट गए

فَرَاغَ إِلَىٰ آلِهَتِهِمْ فَقَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ 91

(बस) फिर तो इबराहीम चुपके से उनके बुतों की तरफ मुतावज्जे हुए और (तान से) कहा तुम्हारे सामने इतने चढ़ाव रखते हैं

مَا لَكُمْ لَا تَنْطِقُونَ 92

आख़िर तुम खाते क्यों नहीं (अरे तुम्हें क्या हो गया है)

فَرَاغَ عَلَيْهِمْ ضَرْبًا بِالْيَمِينِ 93

कि तुम बोलते तक नहीं

فَأَقْبَلُوا إِلَيْهِ يَزِفُّونَ 94

फिर तो इबराहीम दाहिने हाथ से मारते हुए उन पर पिल पड़े (और तोड़-फोड़ कर एक बड़े बुत के गले में कुल्हाड़ी डाल दी)

قَالَ أَتَعْبُدُونَ مَا تَنْحِتُونَ 95

जब उन लोगों को ख़बर हुई तो इबराहीम के पास दौड़ते हुए पहुँचे

وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُونَ 96

इबराहीम ने कहा (अफ़सोस) तुम लोग उसकी परसतिश करते हो जिसे तुम लोग खुद तराश कर बनाते हो

قَالُوا ابْنُوا لَهُ بُنْيَانًا فَأَلْقُوهُ فِي الْجَحِيمِ 97

हालाँकि तुमको और जिसको तुम लोग बनाते हो (सबको) खुदा ही ने पैदा किया है (ये सुनकर) वह लोग (आपस में कहने लगे) इसके लिए (भट्टी की सी) एक इमारत बनाओ

فَأَرَادُوا بِهِ كَيْدًا فَجَعَلْنَاهُمُ الْأَسْفَلِينَ 98

और (उसमें आग सुलगा कर उसी दहकती हुई आग में इसको डाल दो) फिर उन लोगों ने इबराहीम के साथ मक्कारी करनी चाही

وَقَالَ إِنِّي ذَاهِبٌ إِلَىٰ رَبِّي سَيَهْدِينِ 99

तो हमने (आग सर्द गुलज़ार करके) उन्हें नीचा दिखाया और जब (आज़र ने) इबराहीम को निकाल दिया तो बोले मैं अपने परवरदिगार की तरफ जाता हूँ

رَبِّ هَبْ لِي مِنَ الصَّالِحِينَ 100

वह अनक़रीब ही मुझे रूबरा कर देगा (फिर ग़रज की) परवरदिगार मुझे एक नेको कार (फरज़न्द) इनायत फरमा

فَبَشَّرْنَاهُ بِغُلَامٍ حَلِيمٍ 101

तो हमने उनको एक बड़े नरम दिले लड़के (के पैदा होने की) खुशख़बरी दी

فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ السَّعْيَ قَالَ يَا بُنَيَّ إِنِّي أَرَىٰ فِي الْمَنَامِ أَنِّي أَذْبَحُكَ فَانْظُرْ مَاذَا تَرَىٰ ۚ قَالَ يَا أَبَتِ افْعَلْ مَا تُؤْمَرُ ۖ سَتَجِدُنِي إِنْ شَاءَ اللَّهُ مِنَ الصَّابِرِينَ 102

फिर जब इस्माईल अपने बाप के साथ दौड़ धूप करने लगा तो (एक दफा) इबराहीम ने कहा बेटा खूब मैं (वही के ज़रिये क्या) देखता हूँ कि मैं तो खुद तुम्हें ज़िबाह कर रहा हूँ तो तुम भी ग़ौर करो तुम्हारी इसमें क्या राय है इसमाईल ने कहा अब्बा जान जो आपको हुक्म हुआ है उसको (बे तअम्मुल) कीजिए अगर खुदा ने चाहा तो मुझे आप सब्र करने वालों में से पाएगे

فَلَمَّا أَسْلَمَا وَتَلَّهُ لِلْجَبِينِ 103

फिर जब दोनों ने ये ठान ली और बाप ने बेटे को (ज़िबाह करने के लिए) माथे के बल लिटाया

وَنَادَيْنَاهُ أَنْ يَا إِبْرَاهِيمُ 104

और हमने (आमादा देखकर) आवाज़ दी ऐ इबराहीम

قَدْ صَدَّقْتَ الرُّؤْيَا ۚ إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ 105

तुमने अपने ख्वाब को सच कर दिखाया अब तुम दोनों को बड़े मरतबे मिलेगें हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर देते हैं

إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ الْبَلَاءُ الْمُبِينُ 106

इसमें शक नहीं कि ये यक़ीनी बड़ा सख्त और सरीही इम्तिहान था

وَفَدَيْنَاهُ بِذِبْحٍ عَظِيمٍ 107

और हमने इस्माईल का फ़िदया एक ज़िबाहे अज़ीम (बड़ी कुर्बानी) क़रार दिया

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ 108

और हमने उनका अच्छा चर्चा बाद को आने वालों में बाक़ी रखा है

سَلَامٌ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ 109

कि (सारी खुदायी में) इबराहीम पर सलाम (ही सलाम) हैं

كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ 110

हम यूँ नेकी करने वालों को जज़ाए ख़ैर देते हैं

إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ 111

बेशक इबराहीम हमारे (ख़ास) ईमानदार बन्दों में थे

وَبَشَّرْنَاهُ بِإِسْحَاقَ نَبِيًّا مِنَ الصَّالِحِينَ 112

और हमने इबराहीम को इसहाक़ (के पैदा होने की) खुशख़बरी दी थी

وَبَارَكْنَا عَلَيْهِ وَعَلَىٰ إِسْحَاقَ ۚ وَمِنْ ذُرِّيَّتِهِمَا مُحْسِنٌ وَظَالِمٌ لِنَفْسِهِ مُبِينٌ 113

जो एक नेकोसार नबी थे और हमने खुद इबराहीम पर और इसहाक़ पर अपनी बरकत नाज़िल की और इन दोनों की नस्ल में बाज़ तो नेकोकार और बाज़ (नाफरमानी करके) अपनी जान पर सरीही सितम ढ़ाने वाला

وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَارُونَ 114

और हमने मूसा और हारून पर बहुत से एहसानात किए हैं

وَنَجَّيْنَاهُمَا وَقَوْمَهُمَا مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ 115

और खुद दोनों को और इनकी क़ौम को बड़ी (सख्त) मुसीबत से नजात दी

وَنَصَرْنَاهُمْ فَكَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ 116

और (फिरऔन के मुक़ाबले में) हमने उनकी मदद की तो (आख़िर) यही लोग ग़ालिब रहे

وَآتَيْنَاهُمَا الْكِتَابَ الْمُسْتَبِينَ 117

और हमने उन दोनों को एक वाज़ेए उलम तालिब किताब (तौरेत) अता की

وَهَدَيْنَاهُمَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ 118

और दोनों को सीधी राह की हिदायत फ़रमाई

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِمَا فِي الْآخِرِينَ 119

और बाद को आने वालों में उनका ज़िक्रे ख़ैर बाक़ी रखा

سَلَامٌ عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَارُونَ 120

कि (हर जगह) मूसा और हारून पर सलाम (ही सलाम) है

إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ 121

हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर अता फरमाते हैं

إِنَّهُمَا مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ 122

बेशक ये दोनों हमारे (ख़ालिस ईमानदार बन्दों में से थे)

وَإِنَّ إِلْيَاسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ 123

और इसमें शक नहीं कि इलियास यक़ीनन पैग़म्बरों में से थे

إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ أَلَا تَتَّقُونَ 124

जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा कि तुम लोग (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते

أَتَدْعُونَ بَعْلًا وَتَذَرُونَ أَحْسَنَ الْخَالِقِينَ 125

क्या तुम लोग बाल (बुत) की परसतिश करते हो और खुदा को छोड़े बैठे हो जो सबसे बेहतर पैदा करने वाला है

اللَّهَ رَبَّكُمْ وَرَبَّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ 126

और (जो) तुम्हारा परवरदिगार और तुम्हारे अगले बाप दादाओं का (भी) परवरदिगार है

فَكَذَّبُوهُ فَإِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ 127

तो उसे लोगों ने झुठला दिया तो ये लोग यक़ीनन (जहन्नुम) में गिरफ्तार किए जाएँगे

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ 128

मगर खुदा के निरे खरे बन्दे महफूज़ रहेंगे

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ 129

और हमने उनका ज़िक्र ख़ैर बाद को आने वालों में बाक़ी रखा

سَلَامٌ عَلَىٰ إِلْ يَاسِينَ 130

कि (हर तरफ से) आले यासीन पर सलाम (ही सलाम) है

إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ 131

हम यक़ीनन नेकी करने वालों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं

إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ 132

बेशक वह हमारे (ख़ालिस) ईमानदार बन्दों में थे

وَإِنَّ لُوطًا لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ 133

और इसमें भी शक नहीं कि लूत यक़ीनी पैग़म्बरों में से थे

إِذْ نَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ 134

जब हमने उनको और उनके लड़के वालों सब को नजात दी

إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ 135

मगर एक (उनकी) बूढ़ी बीबी जो पीछे रह जाने वालों ही में थीं

ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ 136

फिर हमने बाक़ी लोगों को तबाह व बर्बाद कर दिया

وَإِنَّكُمْ لَتَمُرُّونَ عَلَيْهِمْ مُصْبِحِينَ 137

और ऐ अहले मक्का तुम लोग भी उन पर से (कभी) सुबह को और (कभी) शाम को (आते जाते गुज़रते हो)

وَبِاللَّيْلِ ۗ أَفَلَا تَعْقِلُونَ 138

तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते

وَإِنَّ يُونُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ 139

और इसमें शक नहीं कि यूनुस (भी) पैग़म्बरों में से थे

إِذْ أَبَقَ إِلَى الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ 140

(वह वक्त याद करो) जब यूनुस भाग कर एक भरी हुई कश्ती के पास पहुँचे

فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ الْمُدْحَضِينَ 141

तो (अहले कश्ती ने) कुरआ डाला तो (उनका ही नाम निकला) यूनुस ने ज़क उठायी (और दरिया में गिर पड़े)

فَالْتَقَمَهُ الْحُوتُ وَهُوَ مُلِيمٌ 142

तो उनको एक मछली निगल गयी और यूनुस खुद (अपनी) मलामत कर रहे थे

فَلَوْلَا أَنَّهُ كَانَ مِنَ الْمُسَبِّحِينَ 143

फिर अगर यूनुस (खुदा की) तसबीह (व ज़िक्र) न करते

لَلَبِثَ فِي بَطْنِهِ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ 144

तो रोज़े क़यामत तक मछली के पेट में रहते

فَنَبَذْنَاهُ بِالْعَرَاءِ وَهُوَ سَقِيمٌ 145

फिर हमने उनको (मछली के पेट से निकाल कर) एक खुले मैदान में डाल दिया

وَأَنْبَتْنَا عَلَيْهِ شَجَرَةً مِنْ يَقْطِينٍ 146

और (वह थोड़ी देर में) बीमार निढाल हो गए थे और हमने उन पर साये के लिए एक कद्दू का दरख्त उगा दिया

وَأَرْسَلْنَاهُ إِلَىٰ مِائَةِ أَلْفٍ أَوْ يَزِيدُونَ 147

और (इसके बाद) हमने एक लाख बल्कि (एक हिसाब से) ज्यादा आदमियों की तरफ (पैग़म्बर बना कर भेजा)

فَآمَنُوا فَمَتَّعْنَاهُمْ إِلَىٰ حِينٍ 148

तो वह लोग (उन पर) ईमान लाए फिर हमने (भी) एक ख़ास वक्त तक उनको चैन से रखा

فَاسْتَفْتِهِمْ أَلِرَبِّكَ الْبَنَاتُ وَلَهُمُ الْبَنُونَ 149

तो (ऐ रसूल) उन कुफ्फ़ार से पूछो कि क्या तुम्हारे परवरदिगार के लिए बेटियाँ हैं और उनके लिए बेटे

أَمْ خَلَقْنَا الْمَلَائِكَةَ إِنَاثًا وَهُمْ شَاهِدُونَ 150

(क्या वाक़ई) हमने फरिश्तों की औरतें बनाया है और ये लोग (उस वक्त) मौजूद थे

أَلَا إِنَّهُمْ مِنْ إِفْكِهِمْ لَيَقُولُونَ 151

ख़बरदार (याद रखो कि) ये लोग यक़ीनन अपने दिल से गढ़-गढ़ के कहते हैं कि खुदा औलाद वाला है

وَلَدَ اللَّهُ وَإِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ 152

और ये लोग यक़ीनी झूठे हैं

أَصْطَفَى الْبَنَاتِ عَلَى الْبَنِينَ 153

क्या खुदा ने (अपने लिए) बेटियों को बेटों पर तरजीह दी है

مَا لَكُمْ كَيْفَ تَحْكُمُونَ 154

(अरे कम्बख्तों) तुम्हें क्या जुनून हो गया है तुम लोग (बैठे-बैठे) कैसा फैसला करते हो

أَفَلَا تَذَكَّرُونَ 155

तो क्या तुम (इतना भी) ग़ौर नहीं करते

أَمْ لَكُمْ سُلْطَانٌ مُبِينٌ 156

या तुम्हारे पास (इसकी) कोई वाज़ेए व रौशन दलील है

فَأْتُوا بِكِتَابِكُمْ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ 157

तो अगर तुम (अपने दावे में) सच्चे हो तो अपनी किताब पेश करो

وَجَعَلُوا بَيْنَهُ وَبَيْنَ الْجِنَّةِ نَسَبًا ۚ وَلَقَدْ عَلِمَتِ الْجِنَّةُ إِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ 158

और उन लोगों ने खुदा और जिन्नात के दरमियान रिश्ता नाता मुक़र्रर किया है हालाँकि जिन्नात बखूबी जानते हैं कि वह लोग यक़ीनी (क़यामत में बन्दों की तरह) हाज़िर किए जाएँगे

سُبْحَانَ اللَّهِ عَمَّا يَصِفُونَ 159

ये लोग जो बातें बनाया करते हैं इनसे खुदा पाक साफ़ है

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ 160

मगर खुदा के निरे खरे बन्दे (ऐसा नहीं कहते)

فَإِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُونَ 161

ग़रज़ तुम लोग खुद और तुम्हारे माबूद

مَا أَنْتُمْ عَلَيْهِ بِفَاتِنِينَ 162

उसके ख़िलाफ (किसी को) बहका नहीं सकते

إِلَّا مَنْ هُوَ صَالِ الْجَحِيمِ 163

मगर उसको जो जहन्नुम में झोंका जाने वाला है

وَمَا مِنَّا إِلَّا لَهُ مَقَامٌ مَعْلُومٌ 164

और फरिश्ते या आइम्मा तो ये कहते हैं कि मैं हर एक का एक दरजा मुक़र्रर है

وَإِنَّا لَنَحْنُ الصَّافُّونَ 165

और हम तो यक़ीनन (उसकी इबादत के लिए) सफ बाँधे खड़े रहते हैं

وَإِنَّا لَنَحْنُ الْمُسَبِّحُونَ 166

और हम तो यक़ीनी (उसकी) तस्बीह पढ़ा करते हैं

وَإِنْ كَانُوا لَيَقُولُونَ 167

अगरचे ये कुफ्फार (इस्लाम के क़ब्ल) कहा करते थे

لَوْ أَنَّ عِنْدَنَا ذِكْرًا مِنَ الْأَوَّلِينَ 168

कि अगर हमारे पास भी अगले लोगों का तज़किरा (किसी किताबे खुदा में) होता

لَكُنَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ 169

तो हम भी खुदा के निरे खरे बन्दे ज़रूर हो जाते

فَكَفَرُوا بِهِ ۖ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ 170

(मगर जब किताब आयी) तो उन लोगों ने उससे इन्कार किया ख़ैर अनक़रीब (उसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा

وَلَقَدْ سَبَقَتْ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا الْمُرْسَلِينَ 171

और अपने ख़ास बन्दों पैग़म्बरों से हमारी बात पक्की हो चुकी है

إِنَّهُمْ لَهُمُ الْمَنْصُورُونَ 172

कि इन लोगों की (हमारी बारगाह से) यक़ीनी मदद की जाएगी

وَإِنَّ جُنْدَنَا لَهُمُ الْغَالِبُونَ 173

और हमारा लश्कर तो यक़ीनन ग़ालिब रहेगा

فَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّىٰ حِينٍ 174

तो (ऐ रसूल) तुम उनसे एक ख़ास वक्त तक मुँह फेरे रहो

وَأَبْصِرْهُمْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ 175

और इनको देखते रहो तो ये लोग अनक़रीब ही (अपना नतीजा) देख लेगे

أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ 176

तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं

فَإِذَا نَزَلَ بِسَاحَتِهِمْ فَسَاءَ صَبَاحُ الْمُنْذَرِينَ 177

फिर जब (अज़ाब) उनकी अंगनाई में उतर पडेग़ा तो जो लोग डराए जा चुके हैं उनकी भी क्या बुरी सुबह होगी

وَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّىٰ حِينٍ 178

और उन लोगों से एक ख़ास वक्त तक मुँह फेरे रहो

وَأَبْصِرْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ 179

और देखते रहो ये लोग तो खुद अनक़रीब ही अपना अन्जाम देख लेगें

سُبْحَانَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّةِ عَمَّا يَصِفُونَ 180

ये लोग जो बातें (खुदा के बारे में) बनाया करते हैं उनसे तुम्हारा परवरदिगार इज्ज़त का मालिक पाक साफ है

وَسَلَامٌ عَلَى الْمُرْسَلِينَ 181

और पैग़म्बरों पर (दुरूद) सलाम हो

وَالْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ 182

और कुल तारीफ खुदा ही के लिए सज़ावार हैं जो सारे जहाँन का पालने वाला है