ترجمة سورة المرسلات

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

وَالْمُرْسَلَاتِ عُرْفًا 1

हवाओं की क़सम जो (पहले) धीमी चलती हैं

فَالْعَاصِفَاتِ عَصْفًا 2

फिर ज़ोर पकड़ के ऑंधी हो जाती हैं

وَالنَّاشِرَاتِ نَشْرًا 3

और (बादलों को) उभार कर फैला देती हैं

فَالْفَارِقَاتِ فَرْقًا 4

फिर (उनको) फाड़ कर जुदा कर देती हैं

فَالْمُلْقِيَاتِ ذِكْرًا 5

फिर फरिश्तों की क़सम जो वही लाते हैं

عُذْرًا أَوْ نُذْرًا 6

ताकि हुज्जत तमाम हो और डरा दिया जाए

إِنَّمَا تُوعَدُونَ لَوَاقِعٌ 7

कि जिस बात का तुमसे वायदा किया जाता है वह ज़रूर होकर रहेगा

فَإِذَا النُّجُومُ طُمِسَتْ 8

फिर जब तारों की चमक जाती रहेगी

وَإِذَا السَّمَاءُ فُرِجَتْ 9

और जब आसमान फट जाएगा

وَإِذَا الْجِبَالُ نُسِفَتْ 10

और जब पहाड़ (रूई की तरह) उड़े उड़े फिरेंगे

وَإِذَا الرُّسُلُ أُقِّتَتْ 11

और जब पैग़म्बर लोग एक मुअय्यन वक्त पर जमा किए जाएँगे

لِأَيِّ يَوْمٍ أُجِّلَتْ 12

(फिर) भला इन (बातों) में किस दिन के लिए ताख़ीर की गयी है

لِيَوْمِ الْفَصْلِ 13

फ़ैसले के दिन के लिए

وَمَا أَدْرَاكَ مَا يَوْمُ الْفَصْلِ 14

और तुमको क्या मालूम की फ़ैसले का दिन क्या है

وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ 15

उस दिन झुठलाने वालों की मिट्टी ख़राब है

أَلَمْ نُهْلِكِ الْأَوَّلِينَ 16

क्या हमने अगलों को हलाक नहीं किया

ثُمَّ نُتْبِعُهُمُ الْآخِرِينَ 17

फिर उनके पीछे पीछे पिछलों को भी चलता करेंगे

كَذَٰلِكَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمِينَ 18

हम गुनेहगारों के साथ ऐसा ही किया करते हैं

وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ 19

उस दिन झुठलाने वालों की मिट्टी ख़राब है

أَلَمْ نَخْلُقْكُمْ مِنْ مَاءٍ مَهِينٍ 20

क्या हमने तुमको ज़लील पानी (मनी) से पैदा नहीं किया

فَجَعَلْنَاهُ فِي قَرَارٍ مَكِينٍ 21

फिर हमने उसको एक मुअय्यन वक्त तक

إِلَىٰ قَدَرٍ مَعْلُومٍ 22

एक महफूज़ मक़ाम (रहम) में रखा

فَقَدَرْنَا فَنِعْمَ الْقَادِرُونَ 23

फिर (उसका) एक अन्दाज़ा मुक़र्रर किया तो हम कैसा अच्छा अन्दाज़ा मुक़र्रर करने वाले हैं

وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ 24

उन दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है

أَلَمْ نَجْعَلِ الْأَرْضَ كِفَاتًا 25

क्या हमने ज़मीन को ज़िन्दों और मुर्दों को समेटने वाली नहीं बनाया

أَحْيَاءً وَأَمْوَاتًا 26

और उसमें ऊँचे ऊँचे अटल पहाड़ रख दिए

وَجَعَلْنَا فِيهَا رَوَاسِيَ شَامِخَاتٍ وَأَسْقَيْنَاكُمْ مَاءً فُرَاتًا 27

और तुम लोगों को मीठा पानी पिलाया

وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ 28

उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है

انْطَلِقُوا إِلَىٰ مَا كُنْتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ 29

जिस चीज़ को तुम झुठलाया करते थे अब उसकी तरफ़ चलो

انْطَلِقُوا إِلَىٰ ظِلٍّ ذِي ثَلَاثِ شُعَبٍ 30

(धुएँ के) साये की तरफ़ चलो जिसके तीन हिस्से हैं

لَا ظَلِيلٍ وَلَا يُغْنِي مِنَ اللَّهَبِ 31

जिसमें न ठन्डक है और न जहन्नुम की लपक से बचाएगा

إِنَّهَا تَرْمِي بِشَرَرٍ كَالْقَصْرِ 32

उससे इतने बड़े बड़े अंगारे बरसते होंगे जैसे महल

كَأَنَّهُ جِمَالَتٌ صُفْرٌ 33

गोया ज़र्द रंग के ऊँट हैं

وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ 34

उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है

هَٰذَا يَوْمُ لَا يَنْطِقُونَ 35

ये वह दिन होगा कि लोग लब तक न हिला सकेंगे

وَلَا يُؤْذَنُ لَهُمْ فَيَعْتَذِرُونَ 36

और उनको इजाज़त दी जाएगी कि कुछ उज्र माअज़ेरत कर सकें

وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ 37

उस दिन झुठलाने वालों की तबाही है

هَٰذَا يَوْمُ الْفَصْلِ ۖ جَمَعْنَاكُمْ وَالْأَوَّلِينَ 38

यही फैसले का दिन है (जिस में) हमने तुमको और अगलों को इकट्ठा किया है

فَإِنْ كَانَ لَكُمْ كَيْدٌ فَكِيدُونِ 39

तो अगर तुम्हें कोई दाँव करना हो तो आओ चल चुको

وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ 40

उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है

إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي ظِلَالٍ وَعُيُونٍ 41

बेशक परहेज़गार लोग (दरख्तों की) घनी छाँव में होंगे

وَفَوَاكِهَ مِمَّا يَشْتَهُونَ 42

और चश्मों और आदमियों में जो उन्हें मरग़ूब हो

كُلُوا وَاشْرَبُوا هَنِيئًا بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ 43

(दुनिया में) जो अमल करते थे उसके बदले में मज़े से खाओ पियो

إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ 44

मुबारक हम नेकोकारों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं

وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ 45

उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है

كُلُوا وَتَمَتَّعُوا قَلِيلًا إِنَّكُمْ مُجْرِمُونَ 46

(झुठलाने वालों) चन्द दिन चैन से खा पी लो तुम बेशक गुनेहगार हो

وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ 47

उस दिन झुठलाने वालों की मिट्टी ख़राब है

وَإِذَا قِيلَ لَهُمُ ارْكَعُوا لَا يَرْكَعُونَ 48

और जब उनसे कहा जाता है कि रूकूउ करों तो रूकूउ नहीं करते

وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ 49

उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है

فَبِأَيِّ حَدِيثٍ بَعْدَهُ يُؤْمِنُونَ 50

अब इसके बाद ये किस बात पर ईमान लाएँगे