ترجمة سورة البروج

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

وَالسَّمَاءِ ذَاتِ الْبُرُوجِ 1

बुर्ज़ों वाले आसमानों की क़सम

وَالْيَوْمِ الْمَوْعُودِ 2

और उस दिन की जिसका वायदा किया गया है

وَشَاهِدٍ وَمَشْهُودٍ 3

और गवाह की और जिसकी गवाही दे जाएगी

قُتِلَ أَصْحَابُ الْأُخْدُودِ 4

उसकी (कि कुफ्फ़ार मक्का हलाक हुए) जिस तरह ख़न्दक़ वाले हलाक कर दिए गए

النَّارِ ذَاتِ الْوَقُودِ 5

जो ख़न्दक़ें आग की थीं

إِذْ هُمْ عَلَيْهَا قُعُودٌ 6

जिसमें (उन्होंने मुसलमानों के लिए) ईंधन झोंक रखा था

وَهُمْ عَلَىٰ مَا يَفْعَلُونَ بِالْمُؤْمِنِينَ شُهُودٌ 7

जब वह उन (ख़न्दक़ों) पर बैठे हुए और जो सुलूक ईमानदारों के साथ करते थे उसको सामने देख रहे थे

وَمَا نَقَمُوا مِنْهُمْ إِلَّا أَنْ يُؤْمِنُوا بِاللَّهِ الْعَزِيزِ الْحَمِيدِ 8

और उनको मोमिनीन की यही बात बुरी मालूम हुई कि वह लोग ख़ुदा पर ईमान लाए थे जो ज़बरदस्त और सज़ावार हम्द है

الَّذِي لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ وَاللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ شَهِيدٌ 9

वह (ख़ुदा) जिसकी सारे आसमान ज़मीन में बादशाहत है और ख़ुदा हर चीज़ से वाक़िफ़ है

إِنَّ الَّذِينَ فَتَنُوا الْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ ثُمَّ لَمْ يَتُوبُوا فَلَهُمْ عَذَابُ جَهَنَّمَ وَلَهُمْ عَذَابُ الْحَرِيقِ 10

बेशक जिन लोगों ने ईमानदार मर्दों और औरतों को तकलीफें दीं फिर तौबा न की उनके लिए जहन्नुम का अज़ाब तो है ही (इसके अलावा) जलने का भी अज़ाब होगा

إِنَّ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَهُمْ جَنَّاتٌ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ ۚ ذَٰلِكَ الْفَوْزُ الْكَبِيرُ 11

बेशक जो लोग ईमान लाए और अच्छे काम करते रहे उनके लिए वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारी हैं यही तो बड़ी कामयाबी है

إِنَّ بَطْشَ رَبِّكَ لَشَدِيدٌ 12

बेशक तुम्हारे परवरदिगार की पकड़ बहुत सख्त है

إِنَّهُ هُوَ يُبْدِئُ وَيُعِيدُ 13

वही पहली दफ़ा पैदा करता है और वही दोबारा (क़यामत में ज़िन्दा) करेगा

وَهُوَ الْغَفُورُ الْوَدُودُ 14

और वही बड़ा बख्शने वाला मोहब्बत करने वाला है

ذُو الْعَرْشِ الْمَجِيدُ 15

अर्श का मालिक बड़ा आलीशान है

فَعَّالٌ لِمَا يُرِيدُ 16

जो चाहता है करता है

هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ الْجُنُودِ 17

क्या तुम्हारे पास लशकरों की ख़बर पहुँची है

فِرْعَوْنَ وَثَمُودَ 18

(यानि) फिरऔन व समूद की (ज़रूर पहुँची है)

بَلِ الَّذِينَ كَفَرُوا فِي تَكْذِيبٍ 19

मगर कुफ्फ़ार तो झुठलाने ही (की फ़िक्र) में हैं

وَاللَّهُ مِنْ وَرَائِهِمْ مُحِيطٌ 20

और ख़ुदा उनको पीछे से घेरे हुए है (ये झुठलाने के क़ाबिल नहीं)

بَلْ هُوَ قُرْآنٌ مَجِيدٌ 21

बल्कि ये तो क़ुरान मजीद है

فِي لَوْحٍ مَحْفُوظٍ 22

जो लौहे महफूज़ में लिखा हुआ है