ترجمة سورة الشرح

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

أَلَمْ نَشْرَحْ لَكَ صَدْرَكَ 1

(ऐ रसूल) क्या हमने तुम्हारा सीना इल्म से कुशादा नहीं कर दिया (जरूर किया)

وَوَضَعْنَا عَنْكَ وِزْرَكَ 2

और तुम पर से वह बोझ उतार दिया

الَّذِي أَنْقَضَ ظَهْرَكَ 3

जिसने तुम्हारी कमर तोड़ रखी थी

وَرَفَعْنَا لَكَ ذِكْرَكَ 4

और तुम्हारा ज़िक्र भी बुलन्द कर दिया

فَإِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا 5

तो (हाँ) पस बेशक दुशवारी के साथ ही आसानी है

إِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا 6

यक़ीनन दुश्वारी के साथ आसानी है

فَإِذَا فَرَغْتَ فَانْصَبْ 7

तो जब तुम फारिग़ हो जाओ तो मुक़र्रर कर दो

وَإِلَىٰ رَبِّكَ فَارْغَبْ 8

और फिर अपने परवरदिगार की तरफ रग़बत करो