ترجمة سورة يونس الآية 15

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

وَإِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ آيَاتُنَا بَيِّنَاتٍ ۙ قَالَ الَّذِينَ لَا يَرْجُونَ لِقَاءَنَا ائْتِ بِقُرْآنٍ غَيْرِ هَٰذَا أَوْ بَدِّلْهُ ۚ قُلْ مَا يَكُونُ لِي أَنْ أُبَدِّلَهُ مِنْ تِلْقَاءِ نَفْسِي ۖ إِنْ أَتَّبِعُ إِلَّا مَا يُوحَىٰ إِلَيَّ ۖ إِنِّي أَخَافُ إِنْ عَصَيْتُ رَبِّي عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ 15

और जब उन लोगों के सामने हमारी रौशन आयते पढ़ीं जाती हैं तो जिन लोगों को (मरने के बाद) हमारी हुजूरी का खटका नहीं है वह कहते है कि हमारे सामने इसके अलावा कोई दूसरा (कुरान लाओ या उसका रद्दो बदल कर डालो (ऐ रसूल तुम कह दो कि मुझे ये एख्तेयार नहीं कि मै उसे अपने जी से बदल डालूँ मै तो बस उसी का पाबन्द हूँ जो मेरी तरफ वही की गई है मै तो अगर अपने परवरदिगार की नाफरमानी करु तो बड़े (कठिन) दिन के अज़ाब से डरता हूँ