ترجمة سورة يوسف الآية 67

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

وَقَالَ يَا بَنِيَّ لَا تَدْخُلُوا مِنْ بَابٍ وَاحِدٍ وَادْخُلُوا مِنْ أَبْوَابٍ مُتَفَرِّقَةٍ ۖ وَمَا أُغْنِي عَنْكُمْ مِنَ اللَّهِ مِنْ شَيْءٍ ۖ إِنِ الْحُكْمُ إِلَّا لِلَّهِ ۖ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ ۖ وَعَلَيْهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُتَوَكِّلُونَ 67

और याक़ूब ने (नसीहतन चलते वक्त बेटो से) कहा ऐ फरज़न्दों (देखो ख़बरदार) सब के सब एक ही दरवाजे से न दाख़िल होना (कि कहीं नज़र न लग जाए) और मुताफरिक़ (अलग अलग) दरवाज़ों से दाख़िल होना और मै तुमसे (उस बात को जो) ख़ुदा की तरफ से (आए) कुछ टाल भी नहीं सकता हुक्म तो (और असली) ख़ुदा ही के वास्ते है मैने उसी पर भरोसा किया है और भरोसा करने वालों को उसी पर भरोसा करना चाहिए