ترجمة سورة الرعد الآية 36

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

وَالَّذِينَ آتَيْنَاهُمُ الْكِتَابَ يَفْرَحُونَ بِمَا أُنْزِلَ إِلَيْكَ ۖ وَمِنَ الْأَحْزَابِ مَنْ يُنْكِرُ بَعْضَهُ ۚ قُلْ إِنَّمَا أُمِرْتُ أَنْ أَعْبُدَ اللَّهَ وَلَا أُشْرِكَ بِهِ ۚ إِلَيْهِ أَدْعُو وَإِلَيْهِ مَآبِ 36

और (ए रसूल) जिन लोगों को हमने किताब दी है वह तो जो (एहकाम) तुम्हारे पास नाज़िल किए गए हैं सब ही से खुश होते हैं और बाज़ फिरके उसकी बातों से इन्कार करते हैं तुम (उनसे) कह दो कि (तुम मानो या न मानो) मुझे तो ये हुक्म दिया गया है कि मै ख़ुदा ही की इबादत करु और किसी को उसका शरीक न बनाऊ मै (सब को) उसी की तरफ बुलाता हूँ और हर शख़्श को हिर फिर कर उसकी तरफ जाना है