ترجمة سورة الأنبياء الآية 104

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

يَوْمَ نَطْوِي السَّمَاءَ كَطَيِّ السِّجِلِّ لِلْكُتُبِ ۚ كَمَا بَدَأْنَا أَوَّلَ خَلْقٍ نُعِيدُهُ ۚ وَعْدًا عَلَيْنَا ۚ إِنَّا كُنَّا فَاعِلِينَ 104

(ये) वह दिन (होगा) जब हम आसमान को इस तरह लपेटेगे जिस तरह ख़तों का तूमार लपेटा जाता है जिस तरह हमने (मख़लूक़ात को) पहली बार पैदा किया था (उसी तरह) दोबारा (पैदा) कर छोड़ेगें (ये वह) वायदा (है जिसका करना) हम पर (लाज़िम) है और हम उसे ज़रूर करके रहेंगे