ترجمة سورة القصص الآية 76

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

إِنَّ قَارُونَ كَانَ مِنْ قَوْمِ مُوسَىٰ فَبَغَىٰ عَلَيْهِمْ ۖ وَآتَيْنَاهُ مِنَ الْكُنُوزِ مَا إِنَّ مَفَاتِحَهُ لَتَنُوءُ بِالْعُصْبَةِ أُولِي الْقُوَّةِ إِذْ قَالَ لَهُ قَوْمُهُ لَا تَفْرَحْ ۖ إِنَّ اللَّهَ لَا يُحِبُّ الْفَرِحِينَ 76

(नाशुक्री का एक क़िस्सा सुनो) मूसा की क़ौम से एक शख्स कारुन (नामी) था तो उसने उन पर सरकशी शुरु की और हमने उसको इस क़दर ख़ज़ाने अता किए थे कि उनकी कुन्जियाँ एक सकतदार जमाअत (की जामअत) को उठाना दूभर हो जाता था जब (एक बार) उसकी क़ौम ने उससे कहा कि (अपनी दौलत पर) इतरा मत क्योंकि ख़ुदा इतराने वालों को दोस्त नहीं रखता