ترجمة سورة آل عمران الآية 27

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

تُولِجُ اللَّيْلَ فِي النَّهَارِ وَتُولِجُ النَّهَارَ فِي اللَّيْلِ ۖ وَتُخْرِجُ الْحَيَّ مِنَ الْمَيِّتِ وَتُخْرِجُ الْمَيِّتَ مِنَ الْحَيِّ ۖ وَتَرْزُقُ مَنْ تَشَاءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ 27

तू ही रात को (बढ़ा के) दिन में दाख़िल कर देता है (तो) रात बढ़ जाती है और तू ही दिन को (बढ़ा के) रात में दाख़िल करता है (तो दिन बढ़ जाता है) तू ही बेजान (अन्डा नुत्फ़ा वगैरह) से जानदार को पैदा करता है और तू ही जानदार से बेजान नुत्फ़ा (वगैरहा) निकालता है और तू ही जिसको चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है