ترجمة سورة النساء الآية 155

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

فَبِمَا نَقْضِهِمْ مِيثَاقَهُمْ وَكُفْرِهِمْ بِآيَاتِ اللَّهِ وَقَتْلِهِمُ الْأَنْبِيَاءَ بِغَيْرِ حَقٍّ وَقَوْلِهِمْ قُلُوبُنَا غُلْفٌ ۚ بَلْ طَبَعَ اللَّهُ عَلَيْهَا بِكُفْرِهِمْ فَلَا يُؤْمِنُونَ إِلَّا قَلِيلًا 155

फिर उनके अपने एहद तोड़ डालने और एहकामे ख़ुदा से इन्कार करने और नाहक़ अम्बिया को क़त्ल करने और इतरा कर ये कहने की वजह से कि हमारे दिलों पर ग़िलाफ़ चढे हुए हैं (ये तो नहीं) बल्कि ख़ुदा ने उनके कुफ़्र की वजह से उनके दिलों पर मोहर कर दी है तो चन्द आदमियों के सिवा ये लोग ईमान नहीं लाते