ترجمة سورة النساء الآية 60

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

أَلَمْ تَرَ إِلَى الَّذِينَ يَزْعُمُونَ أَنَّهُمْ آمَنُوا بِمَا أُنْزِلَ إِلَيْكَ وَمَا أُنْزِلَ مِنْ قَبْلِكَ يُرِيدُونَ أَنْ يَتَحَاكَمُوا إِلَى الطَّاغُوتِ وَقَدْ أُمِرُوا أَنْ يَكْفُرُوا بِهِ وَيُرِيدُ الشَّيْطَانُ أَنْ يُضِلَّهُمْ ضَلَالًا بَعِيدًا 60

(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों की (हालत) पर नज़र नहीं की जो ये ख्याली पुलाओ पकाते हैं कि जो किताब तुझ पर नाज़िल की गयी और जो किताबें तुम से पहले नाज़िल की गयी (सब पर ईमान है) लाए और दिली तमन्ना ये है कि सरकशों को अपना हाकिम बनाएं हालॉकि उनको हुक्म दिया गया कि उसकी बात न मानें और शैतान तो यह चाहता है कि उन्हें बहका के बहुत दूर ले जाए