ترجمة سورة الأحقاف الآية 34

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

وَيَوْمَ يُعْرَضُ الَّذِينَ كَفَرُوا عَلَى النَّارِ أَلَيْسَ هَٰذَا بِالْحَقِّ ۖ قَالُوا بَلَىٰ وَرَبِّنَا ۚ قَالَ فَذُوقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُونَ 34

जिस दिन कुफ्फ़ार (जहन्नुम की) आग के सामने पेश किए जाएँगे (तो उन से पूछा जाएगा) क्या अब भी ये बरहक़ नहीं है वह लोग कहेंगे अपने परवरदिगार की क़सम हाँ (हक़ है) ख़ुदा फ़रमाएगा तो लो अब अपने इन्कार व कुफ्र के बदले अज़ाब के मज़े चखो