ترجمة سورة الحجرات الآية 12

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اجْتَنِبُوا كَثِيرًا مِنَ الظَّنِّ إِنَّ بَعْضَ الظَّنِّ إِثْمٌ ۖ وَلَا تَجَسَّسُوا وَلَا يَغْتَبْ بَعْضُكُمْ بَعْضًا ۚ أَيُحِبُّ أَحَدُكُمْ أَنْ يَأْكُلَ لَحْمَ أَخِيهِ مَيْتًا فَكَرِهْتُمُوهُ ۚ وَاتَّقُوا اللَّهَ ۚ إِنَّ اللَّهَ تَوَّابٌ رَحِيمٌ 12

ऐ ईमानदारों बहुत से गुमान (बद) से बचे रहो क्यों कि बाज़ बदगुमानी गुनाह हैं और आपस में एक दूसरे के हाल की टोह में न रहा करो और न तुममें से एक दूसरे की ग़ीबत करे क्या तुममें से कोई इस बात को पसन्द करेगा कि अपने मरे हुए भाई का गोश्त खाए तो तुम उससे (ज़रूर) नफरत करोगे और ख़ुदा से डरो, बेशक ख़ुदा बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान है