ترجمة سورة المائدة الآية 13

ترجمة سهيل فاروق خان (Suhel Farooq Khan)

فَبِمَا نَقْضِهِمْ مِيثَاقَهُمْ لَعَنَّاهُمْ وَجَعَلْنَا قُلُوبَهُمْ قَاسِيَةً ۖ يُحَرِّفُونَ الْكَلِمَ عَنْ مَوَاضِعِهِ ۙ وَنَسُوا حَظًّا مِمَّا ذُكِّرُوا بِهِ ۚ وَلَا تَزَالُ تَطَّلِعُ عَلَىٰ خَائِنَةٍ مِنْهُمْ إِلَّا قَلِيلًا مِنْهُمْ ۖ فَاعْفُ عَنْهُمْ وَاصْفَحْ ۚ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الْمُحْسِنِينَ 13

पस हमने उनकीे एहद शिकनी की वजह से उनपर लानत की और उनके दिलों को (गोया) हमने ख़ुद सख्त बना दिया कि (हमारे) कलमात को उनके असली मायनों से बदल कर दूसरे मायनो में इस्तेमाल करते हैं और जिन जिन बातों की उन्हें नसीहत की गयी थी उनमें से एक बड़ा हिस्सा भुला बैठे और (ऐ रसूल) अब तो उनमें से चन्द आदमियों के सिवा एक न एक की ख्यानत पर बराबर मुत्तेला होते रहते हो तो तुम उन (के क़सूर) को माफ़ कर दो और (उनसे) दरगुज़र करो (क्योंकि) ख़ुदा एहसान करने वालों को ज़रूर दोस्त रखता है